महादेवा महोत्सव में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन हुआ आयोजित

संवाददाता अनुपम कुमार की रिपोर्ट

रामनगर बाराबंकी। महादेवा महोत्सव के सांस्कृतिक मंच पर सोमवार की रात अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश के नाम चीन कवियों ने काव्य पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि पूर्व विधायक शरद कुमार अवस्थी व भाजपा जिला महामंत्री संदीप गुप्ता एवं बीएसए संतोष देव पांडेय तथा बीडीओ रामनगर जितेंद्र कुमार ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जिसके बाद बाराबंकी के कवि प्रियांशु ने सरस्वती वंदना गाकर कवि सम्मेलन का आगाज किया। देश के मशहूर कवि डॉ विष्णु सक्सेना ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए पढ़ा, रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं, तुमने पत्थर सा दिल मुझको का तो दिया, पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं। राजस्थान की माटी से पधारे कवि विनीत चौहान ने पढ़ा, मैं बीस लाख देता हूं उन किस्मत के बेटों को, हिम्मत हो तो मंत्री भेजें लड़ने अपने बेटों, को सुन कर श्रोताओं में जोश भर दिया। भोपाल से आए हुए कवि नीलोत्पल मृणाल ने अपनी रचना सुनाते हुए कहा धीरे धीरे गल गया लोहा, तेवर का तलवार गया, एक नौकरी के चक्कर में देखो सिकंदर हार गया। जबलपुर मध्य प्रदेश से पधारी कवयित्री मणिका दुबे ने गीत पढ़ा, तुम हंसते हो तो लगता है, हंसता है संसार, बाराबंकी के मशहूर कवि प्रियांशु गजेंद्र ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा जैसे तैसे उम्र बिताली, मैंने तेरे प्यार में, रात रात भर तुमको गाया सुबह छपे अखबार में, सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद इंदौर से पधारे डॉक्टर भुवन मोहिनी ने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा दिल में रोशन कई चांद तारे हुए खूबसूरत से कितने इशारे हुए, नैन से नैन ने जाने क्या कह दिया, हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए। कवि सम्मेलन के संयोजक विकास बौखल ने अपना दर्द भरा गीत सुनते हुए कहा फेसबुक पर फेसबुक किया उसका, तो मन के बगीचे में मयूरी बन नाची है, प्रोफाइल में पढ़े लिखी थी पटना में और जाब की जगह डाली झारखंड राँची है, चैटिंग से बात जब धीरे-धीरे आगे बढ़ी, इतनी बड़ी कि टूटी प्रीत मेरी सांची है, ढाई साल प्रेमिका समझ बात जिससे किया बाद में पता चला पड़ोस वाली चाची है। प्रयागराज के हास्य और व्यंग के मशहूर कवि अखिलेश द्विवेदी ने सुनाया हम अपना दर्द बांटे या ना बाटे पर हंसी बांटे, भुला कर अपने गम सारे जमाने को हंसी बांटे। इसी तरह बनारस से पधारे कवि डॉक्टर अनिल चौबे ने नारी की रक्षा को गिद्ध भी युद्ध जहां निज शक्ति यथा करते हैं, सेतु बना करके नलनील शुरू जहां सेतु प्रथा करते हैं। औषधि ला हनुमान जहां रघुवीर की दूर व्यथा करते हैं। धन्य है भारत देश जहां पर काग भी राम कथा करते हैं। कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि राम किशोर तिवारी ने अपनी काव्य रचना के माध्यम से शिव की वंदना करते हुए कहा शिव के अर्चन में गूंजे यही एक स्वर, हर समय रात दिन और आठो पहर, आओ मिलकर पुकारे यही आज हम, लोधेश्वर लोधेश्वर लोधेश्वर लोधेश्वर। भारी संख्या में उपस्थित श्रोता देर रात तक काव्य पाठ का रसपान करते रहे।

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