नजीबाबाद। मातमी जुलूस मर्सिया ख्वानी से दूसरे दिन जोगीरम्पुरी दरगाह परिसर में माहौल गमगीन रहा। उधर, मौला अली के रोजे पर नम आंखों से जायरीनों ने जियारत कर मन्नतें मांगीं।

नजफ-ए-हिंद जोगीरम्पुरी दरगाह पर सालाना मजलिसों में आए जायरीनों का मौला अली की बारगाह में इवादत और मन्नतों का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा। तड़के से शमसुल हसन हॉल में मातमी मजलिसों का शुरू हुआ सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। लखनऊ से आए मौलाना हसनैन बाकरी, मौलाना रूमान रिजवी, मौलाना तसनीम मेंहदी लखनवी ने मजलिसों को खिताब करते हुए जायरीनों से कर्बला की जंग से सबक लेने और दीन और इमान को जिंदगी का मकसद बनाने, दीनी और दुनियावी तालीम बच्चों को और उनमें मुल्क परस्ती दिल्याने जगारि की सलाह दी। हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की कर्बला की जंग और यजीद की क्रूरता की दास्ता सुन जायरीन फफक कर रोने और सीनाजनी के लिए मजबूर हुए।
गुलरेरणा हैदर रिजवी, कार्यक्रम संयोजक डॉ. मिर्जा शफीक हुसैन की देखरेख में मौलाना शबीब हुसैन मेरठी, मौलाना अतहर कासमी ने मजलिसों को खिताब किया।

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जुलूस किए बरामद, नोहे ख्वानी कीं

अंजुमन शैदाये हुसैनी मेमन सादात, अंजुमन दायरातुल अजा भनेड़ा, अंजुमन अंसारे हुसैनी मेमन सादात की ओर से मातमी जुलूस बरामद किए गए। शमसुल हसन हॉल में नसीमुल बाकरी के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में अंजुमनों ने नोहा ख्वानी और मर्सिया ख्वानी कीं। सीनाजनी के जरिए मातम का इजहार किया।

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