जर्सी नम्बर 18 (विराट) फाइनल का इंतज़ार-18 साल**आईपीएल का संस्करण-18वां
फाइनल का दिन-3/6/2025, कुल जोड़= 18 कप्तान रजत (पाटीदार) टीम को मिला- स्वर्ण (ट्राफी)
संवाददाता सुशील कुमार 18 नंबर की जर्सी पहनने वाला एक खिलाड़ी 18 साल से अपनी टीम और अपने सच्चे समर्थकों के लिए एक अदद आईपीएल ट्रॉफी का इंतजार कर रहा था। उसने कई साल कप्तानी की और ट्राफी दिलाने के लिए कप्तानी को छोड़ा भी लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। फिर 2025 का साल आया। संयोग से यह आईपीएल का 18वां संस्करण था और 03-05-2025 का कुल जोड़ भी 18 निकल रहा था। यानी पूरी कायनात मिल कर विराट को ये ट्राफी जिताने पर तुली थी और फिर हुआ भी यहीIPL ट्रॉफी को दरवाजे पर देख विराट कोहली आंसू बहा रहे थे । आखिरकार 20वां ओवर खत्म होते ही विराट कोहली का सपना पूरा हुआ । खुशी के आंसू झर-झर बहने लगे । सालों पुराना सपना पूरा होने पर कैसा लगता है, विराट कोहली के हाव-भाव बता रहे थे । उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा ने बाद में बाहर से मैदान के अंदर आ कर विराट को गले लगाकर उनको संभाला18 साल बाद विराट कोहली की आरसीबी आईपीएल चैंपियन बन चुकी थी जीत के बाद कोहली ने कहा कि ये जीत उतनी ही प्रशंसकों की है, जितनी की टीम की है। 18 साल का लंबा समय, मैने अपनी जवानी, प्राइम और अनुभव सब कुछ इस टीम को दिया। मैने हर सत्र में जीतने की कोशिश की।उन्होंने आगे कहा कि आखिरकार खिताब जीतना अविश्वसनीय अनुभव है। कभी सोचा नहीं था कि ये दिन आएगा। आखिरी गेंद डाले जाने के समय मैं बहुत भावुक हो गया था। मैंने अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी थी और यह अद्भुत अहसास है।‘मेरा दिल बेंगलुरू में है’कमेंटेटर मैथ्यू हेडन ने जब उनसे पूछा कि वनडे विश्व कप, टी20 विश्व कप और चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने के बाद इस खिताब को वह कहां रखते हैं, कोहली ने कहा कि मैंने पिछले 18 साल में इस टीम को सब कुछ दिया। मैं टीम के साथ रहा और टीम मेरे साथ। मैने हमेशा इस टीम के साथ जीतने का सपना देखा था । मेरा दिल बेंगलुरू में है और आत्मा भी। मैं जब तक आईपीएल खेलूंगा, बेंगलुरू के लिये ही खेलूंगा।जीत के बाद, विराट ने अनुष्का के बारे में बात करते हुए कहा कि ‘वह लगातार हमारे मैच देखने आती रही हैं और कई सारे टफ मैच भी देखे हैं, हमें हारते हुए भी वो देखती है, त्याग और प्रतिबद्धता और हर मुश्किल समय में आपका साथ देना कुछ ऐसा है जिसे आप शब्दों में बयां नहीं कर सकते । जब आप पेशेवर रूप से खेलते हैं, तभी आप समझ पाते हैं कि पर्दे के पीछे कितनी सारी चीजें होती हैं और वे किन परिस्थितियों से गुज़रते हैं’
