इतिहास*
      ज्ञात स्रोतों से पता चला है यहाँ कस्तूरीमल नाम का एक सेठ रहता था, जिसके नाम पर ही इसका नामकरण हुआ!ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इसका इतिहास काफी पुराना है, यह तराई क्षेत्र में अवस्थित है, इसके अगल-बगल जंगल था बीच में एक छोटी सी बस्ती थी जो राजतंत्र में राजाओं की सैन्य टुकड़ियों को यात्रा के दौरान ठहरने के लिए उपयुक्त थी! पर्याप्त चरागाह होने की वजह से कस्ता में शुरू से ही गद्दी (गाजी) बिरादरी जो एक सैनिक बिरादरी थी, परंतु अंग्रेजी हुकूमत में इन्हें जंगलों का सहारा लेना पड़ा और कृषि के साथ पशुपालन व दुग्ध उत्पादन को अपना पेशा बनाना पड़ा, इनके लिए यह जगह उपयुक्त थी, इसलिए रहने लगे, जो आज तक यहां रह रहे हैं!इसलिए इस जगह के बारे में कई बादशाह व सेनापति जानते थे, यही वजह रही जब अवध सआदत खां के नेतृत्व में स्वतंत्र हो गया तो कस्ता को मालगुजारी (कर वसूली) और प्रशासनिक रूप से कुछ अधिकारियों के ठहरने का केंद्र बनाया गया!
कस्ता अवध के स्टेट महमूदाबाद का हिस्सा था इसलिए महमूदाबाद के राजा मोहम्मद आमिर अहमद खान जो मुस्लिम लीग के अग्रणी नेता थे ने कस्ता में एक कोठी का निर्माण करवाया जिसमें तहसीलदार आदि अधिकारी रहते थे, यहीं से कस्ता क्षेत्र का वित्तीय व प्रशासनिक काम होता था, कोठी के बाईं तरफ हाथी घोड़ा बांधे जाते थे, कोठी के प्रांगण में मोहर्रम में ताजिया रखा जाता था, फातिहा नियाज के साथ सातवीं को ढोल नगाड़े बचते थे और लकड़ी का खेल होता था इसलिए कस्ता की सातवीं मशहूर है और मोहर्रम की 10 तारीख को जुलूस निकलता था जिसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते थे! जो अब भी निकाला जाता है!
महमूदाबाद के महाराजा के अधीनस्थ के रूप में ही कस्ता, मितौली, ओयल आदि के राजा काम करते थे!
कस्ता में स्थित शिव मंदिर बनने की इजाजत राजा महमूदाबाद ने ही दी थी!
उत्तर प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डॉ अम्मार रिजवी के पिता यहां तहसीलदार थे इसलिए रिजवी साहब का बचपन कस्ता में ही गुजरा है!
*भौगोलिक दृष्टि*
      कस्ता भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सबसे बड़े जिले लखीमपुर खीरी में लखीमपुर शहर से 27 किलोमीटर दक्षिण स्थित है, जिला नेपाल देश से लगा है इसलिए कस्ता से नेपाल की दूरी लगभग 150 किलोमीटर है, यहां तक नेपाल के लोग हींग व शिलाजीत बेचने आते थे!
कस्ता के उत्तर सरायन नदी है और दक्षिण शारदा नहर!
*यातायात*
       कस्ता से चारों तरफ के लिए सड़क है, कस्ता से पूर्व सीतापुर शहर है, उत्तर में लखीमपुर शहर, उत्तर पश्चिम गोला गोकर्णनाथ (छोटी काशी) है, दक्षिण मितौली व मैगलगंज है, पश्चिम मोहम्मदी और शाहजहांपुर है!
इन सभी शहरों को जाने के लिए कस्ता से दैनिक बस चलती है!
कस्ता से नजदीक रेलवे स्टेशन लखीमपुर, मैगलगंज व हरगांव है!
कस्ता से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मात्र 115 किलोमीटर दूर है और देश की राजधानी दिल्ली 400 किलोमीटर दूर है जहां के लिए दैनिक बस जाती है!
*व्यापारिक दृष्टि*
      कस्ता की सप्ताहिक बाजार का अस्तित्व काफी पुराना है जिसे राजा महमूदाबाद ने विकसित किया था, यहां दूर-दूर के व्यापारी अपनी सब्जी, मसाला, अनाज, कपड़ा, मिट्टी के बर्तन आदि बेचने आते थे! बाजार बृहस्पतिवार व रविवार को लगती है!
कस्ता चौराहे पर दैनिक बाजार लगती है यानी दुकानें हैं जहां जरूरत की सारी वस्तुएं मिल जाती!
*वित्तीय स्थिति*
     कस्ता में जिला सहकारी बैंक, साधन सहकारी समिति, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक और दो एटीएम हैं!
*प्रशासनिक स्थिति*
      कस्ता जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर है और तहसील, ब्लाक व थाना मितौली के अंतर्गत आता है! कस्ता में एक पुलिस सहायता केंद्र (चौकी) है! कस्ता परगना है जिसकी वजह से कस्ता कोठी में ही राजस्व निरीक्षक व लेखपाल आदि बैठते हैं! कस्ता में पंचायत भवन भी है, जहां ग्राम प्रधान और सचिव बैठते हैं!
 कस्ता में उत्तर प्रदेश का पहला ग्रामीण पुस्तकालय अवस्थित है!
*चिकित्सीय स्थित*
       यहां जिला पंचायत की तरफ से एक अस्पताल संचालित था जो अब बंद है! एक मवेशी अस्पताल था जो रेवाना स्थानांतरित हो गया है!
अब निजी चिकित्सक हैं!
*शैक्षिक दृष्टि*
       शिक्षा के क्षेत्र में कस्ता अग्रणी रहा है, यहां का प्राथमिक स्कूल काफी पुराना है इसके अलावा जिला पंचायत इंटर कॉलेज व कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, इन स्कूलों में शिक्षा हासिल करने के लिए बच्चे 5 किलोमीटर से कभी पैदल आते थे! अब कस्ता पंचायत में कुल 4 प्राथमिक विद्यालय और दो इंटर कॉलेज हैं!
*राजनीतिक दृष्टि*
        कस्ता शाहाबाद लोकसभा के अंतर्गत हैदराबाद विधानसभा में था!
1952 के आम लोकसभा चुनाव में कर्नल बशीर जैदी जीते थे! तभी से कस्ता राजनीति का केंद्र बन गया 1996 में इलियास आजमी सांसद बने जिन्होंने संसद में आवाज उठाई और सड़कों का जाल बिछवा दिया, 1999 में दाऊद अहमद सांसद बने और फिर 2004 में इलियास आजमी ने कस्ता ही नहीं लखीमपुर खीरी और हरदोई जिले की आवाज उठाई, जब जिला पिछड़ा घोषित हो गया तो कस्ता को भी फायदा मिला!
नेता कोई भी हो उसकी राजनीति का केंद्र कस्ता ही होता है, यहीं बड़ी बड़ी चुनावी जनसभा होती हैं!
2009 में जब परिसीमन हुआ तो कस्ता धौराहरा लोक सभा में आ गया और कस्ता खुद विधान सभा बन गया!
कस्ता विधानसभा में लगभग 3.50 लाख मतदाता हैं जिनमें एससी एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के वोट अधिक हैं!
कस्ता खुद ग्राम पंचायत है!
 *जनसंख्या*
       कस्ता में लगभग 6000 मतदाता हैं और लगभग 12000 कुल आबादी होगी!कस्ता पंचायत के अंतर्गत भिखनापुर, दुबहा, रेतहरा, अंधरौवाला, इस्लाम नगर (कॉलोनी) और भिखनापुर, बिहारीपुर कुल छः मजरे हैं!
जिनमें हिंदू (ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया, तेली, लोहार, सोनार के साथ दलित चमार, पासी, जमादार आदि) इस्लाम (मुस्लिम) {गद्दी (गाज़ी) फकीर, जुलाहे, पठान, दर्जी, हलवाई, मनिहार आदि} और सिख धर्म के लोग रहते हैं!
*इमारत व स्थल*
       कस्ता में 2 मस्जिदें हैं! जामा मस्जिद व औलिया मस्जिद, इसके साथ सूफी संत हजरत हनीफ मियां रहमतुल्लाह अलेह और शहीद मर्द बाबा की मजार है!
2 देवी माता के मंदिर व एक हनुमान जी का मंदिर है!
कस्ता के बीचो-बीच प्राथमिक विद्यालय व कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय के पास हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक शिव शंकर मंदिर व शहीद मर्द बाबा की मजार है,जिनके बीच में शहीद शंकर पार्क है जिसमें बच्चे कबड्डी व क्रिकेट खेलते हैं!
यहां एक कोठी है और जमींदारों की गढ़ी भी थी!
*विशेष टिप्पणी*
       कस्ता में भिन्न-भिन्न जाति और धर्म के लोग रहते हैं, यहां की खूबी है सब एक दूसरे के साथ आपसी सौहार्द, भाईचारा और प्रेम के साथ रहते हैं, सब एक दूसरे के सुख दुख और त्यौहार में शामिल होते हैं! यहाँ की आपसी एकता और सौहार्द मिसाल है!
लेखक— *मोबीन गाज़ी कस्तवी*9455205870कस्ता, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश, भारत!

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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