रामसनेहीघाट / बाराबंकी।अगर किसी को भगवान की भक्ति लग गई तो उसे और दूसरा कुछ नहीं सोचता है इसीलिए कहते हैं कि ईश्वर प्रेम का भूखा है तथा उसी को वह मिलता है जो लोगों से प्रेम करते हुए अपने इस बहुमूल्य जीवन का सदुपयोग करता है। यह बात हरिद्वार से पधारे परम श्रद्धेय श्री कालिंदी चरण दास जी महाराज ने क्षेत्र के बीर गांव स्थित सदई दास बाबा एवं साईं मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्री मदभागवत कथा के दौरान उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कही।


उन्होंने कहा कि गोस्वामी जी ने भी लिखा है कि रामहि केवल प्रेम पियारा, जानि लेहु जो जाननि हारा। एक अन्य चौपाई में गोस्वामी जी ने लिखा है कि प्रेम ते प्रकट होहि मय जाना, ईश्वर जब शबरी के आश्रम में पहुंचते हैं तो शबरी का प्रेम देखकर भाव विह्वल हो जाते हैं तथा सबरी अपने प्रेम में इतना मंत्रमुग्ध हो जाती है कि वह यह भी नहीं सोच पाती कि हम अपना झूठा बेर प्रभु श्री राम को खिला रहे हैं, लेकिन भगवान राम ने बड़े प्रेम से शबरी के उस आतिथ्य को स्वीकार किया। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं का आह्वान किया कि प्रेम ही एक ऐसा ब्रह्मास्त्र है जो ईश्वर को प्राणी मात्र की ओर खींच लेता है, इसलिए प्रेममय जीवन जीना ही मनुष्य का सबसे बड़ा सौभाग्य है।
सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति सत्संग में बैठता है तो उसका सीधा संपर्क ईश्वर से जुड़ जाता है इसीलिए सत्संग को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने भक्ति का सबसे बड़ा सोपान माना है। शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान देते हुए उन्होंने कहा कि प्रथम भगति संतन कर संगा, दूसरि रति मम कथा प्रसंगा। जीव मात्र को चाहिए कि वह सत्संग में रमा रहे साथ ही जहां पर भी ईश्वर की कथा हो रही हो वहां पर पहुंचकर उसका श्रवण अवश्य करें।
कथा के दौरान ब्लाक प्रमुख चंद्रशेखर वर्मा, प्रधान संघ के अध्यक्ष प्रदीप सिंह, मुकेश सिंह, मधुकर तिवारी एवं मोहित शास्त्री ने कथावाचक का माल्यार्पण कर स्वागत किया। कथा वाचक ने भी इन सभी अतिथियों को अंगवस्त्र प्रदान कर आशीर्वाद दिया। इस कथा के आयोजन में पूर्व प्रधान मनोज कुमार मिश्र एवं धीर बाबू शुक्ला का विशेष योगदान है, आसपास के ग्रामीण भी इस कथा में अपना भरपूर सहयोग कर रहे हैं।

मुरारी यादव बाराबंकी जिला संवाददाता

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