सहसवान नगर क्षेत्र से नहीं बुलाया गया पत्रकार बंधुओं को न ही भाजपा के बूथ अध्यक्षों को बुलाया गया कुछ चिन्हित लोगों को जिसमें ज्यादातर दलाल किस्म के लोग देखने को मिले इससे प्रतीत होता है कि कोतवाली पुलिस को नहीं है जानकारी कि सहसवान में कौन-कौन जिम्मेदार लोग रहते हैं सवाल उठता है कि प्रभारी निरीक्षक तो इस विषय पर पूरी जानकारी नहीं रख सकते लेकिन देहात एवं नगर के सम्मानित लोगों को हलके के सिपाई एवं दरोगा तो जानते हैं कि कौन-कौन लोग सम्मानित है जिन्हें पीस कमेटी की बैठक में बुलाया जा सके लेकिन ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला सवाल उठता है की पीस कमेटी की बैठक हो रही है तो हिंदू मुस्लिम एकता को देखते हुए दोनों समुदाय के लोगों को बुलाया जाता है लेकिन यहां पर यह देखने को मिला की जिन जिन पुलिस कर्मियों की जिन लोगों से अपनी स्वयं की जानकारी है वह किस बात की है पता नहीं उन्हीं लोगों को बुलाया गया कुछ चेहरे सत्ता पक्ष के बुला लिए गए जो सत्ता पक्ष में है जिससे उनकी वाह वाह हो जाए पिछली कई पीस कमेटी की बैठकों में भी पत्रकारों के लिए नजर अंदाज कर दिया गया । आखिर सहसवान में पत्रकार क्या ऐसे ही नजरअंदाज किए जाते रहेंगे आखिर क्यों अगर पत्रकार सत्यता निकालता है तो वह पुलिस के नजर में दुश्मन हो जाएगा नहीं ऐसी सोच रखना गलत है वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात के लिए सचेत कर देना चाहिए हल्का सिपाहियों को एवं उप निरीक्षकों को भी पत्रकार एक चौथा स्तंभ होता है उसे बुलाना अत्यंत आवश्यक है और वही सत्यता को उजागर करते हैं लेकिन आज नजारा कुछ कोतवाली सहसवान का अलग ही नजर आया लगता है कि पुलिस प्रशासन पत्रकारों को अपनी कठपुतली के रूप में देखना चाहता है लेकिन पत्रकार अपनी लेखनी पर ही और सच्चाई लिखने के लिए ही रहते हैं ।
✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी बदायूं