रिपोर्ट: प्रदीप पांण्डेय
दातागंज बदायूँ

वास्तव में बच्चे भगवान का दूसरा रूप हैं। बच्चे की मासूमियत बड़े बड़े पत्थर दिल इंसान को भी पिघला देती है। तो भला किसी बदमाश की क्या मजाल जो किसी बच्चे का बुरा कर सके।

दिल को झकझोर देने वाला ऐसा ही एक मामला राजस्थान के जयपुर से सामने आया है। जयपुर से कुछ महीने पहले चार पांच माह के एक बच्चे को किडनैपर ने अगुआ कर लिया था। जिसकी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। काफी खोजबीन के बाद भी बच्चे को बरामद नहीं किया जा सका। लेकिन बच्चे के माता पिता और पुलिस उसकी तलाश में लगी रही। करीब आठ नौ माह बाद अचानक बच्चे का सुराग मिल गया। पुलिस ने अपना जाल बिछाकर आखिरकार बच्चे और उसके किडनैपर को गिरफ्त में ले लिया। पुलिस ने बच्चे के माता पिता को सूचित कर पुलिस स्टेशन बुला लिया। जहां उनका बच्चा और किडनैपर मौजूद था। पुलिस ने सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बच्चे को किडनैपर से लेने की कोशिश की तो बच्चा रोने लगा और किडनैपर से चिपक गया। पुलिस ने बच्चे को उससे ले लिया तो बच्चा जार जार रोने लगा। सामने खड़ा किडनैपर भी आंसुओं से रोने लगा। ये देख वहां मौजूद सभी की आंखे नम हो गईं। पुलिस के अधिकारी ने बच्चे को उसकी मां को देना चाहा मगर बच्चा रोता रहा और किडनैपर के पास जाने की जिद करने लगा। हालांकि बच्चे के मां बाप उसे ले गए। इस दौरान बच्चा रोता ही रहा। किडनैपर ने बच्चे को किसी और मकसद से किडनैप किया था। लेकिन एक अबोध बच्चे की मासूमियत ने उस किडनैपर का ह्रदय परिवर्तन कर दिया था और किडनैपर उस बच्चे को अपनी औलाद की तरह पाल रहा था। एक बच्चे की जुदाई क्या होती है उस किडनैपर की आंखों से बह रहे आंसू बयां कर रहे थे।

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