Karava Chauth 2024:अखंड सौभाग्य का करवा चौथ व्रत रविवार को है. इस दिन कार्तिक कृष्ण तृतीया तिथि, कृत्तिका नक्षत्र, व्यतीपात योग, विष्टि करण, पश्चिम का दिशाशूल और वृषभ राशि का चंद्रमा है. सुबह 6:46 बजे से चतुर्थी तिथि शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन सूर्योदय से पूर्व ही हो जा रहा है. ऐसे में करवा चौथ का व्रत रविवार को रखना उत्तम है क्योंकि इस दिन चतुर्थी तिथि में चंद्रमा होगा और उस समय रोहिणी नक्षत्र है. करवा चौथ के दिन सुबह में भद्रा है, जिसका वास स्थान स्वर्ग है. स्वर्ग की भद्रा का दुष्प्रभाव धरती पर नहीं होता है। ऐसे में करवा चौथ में भद्रा मान्य नहीं है. इसलिए व्रती बिना किसी डर के करवा चौथ का व्रत रखें. करवा चौथ को सूर्योदय से पूर्व सरगी खा लें। फिर सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखें।

शुभ मुहूर्त में शाम को करवा माता, गणेश जी, भगवान शिव और कार्तिकेय की पूजा विधिपूर्वक करें. करवा चौथ का चांद शाम 7 बजकर 54 मिनट पर निकलेगा. चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करें और व्रत को पूरा करें. करवा चौथ के व्रत का पारण बिना नमक वाले भोजन से करना चाहिए. इसमें मीठा भोजन करने का विधान है. करवा चौथ को रविवार व्रत भी है. इसमें सूर्य की पूजा करते हैं. सूर्य देव को सूर्योदय के समय अर्घ्य देते हैं. सूर्य मंत्र का जाप करें. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. सूर्य देव को लाल चंदन, लाल फूल, लाल फल आदि चढ़ाना चाहिए. सूर्य देव के शुभ प्रभाव के लिए रविवार को तांबा, तांबे के बर्तन, लाल रंग के कपड़े, लाल फल आदि का दान करें. इससे कुंडली का सूर्य दोष भी दूर होता है. आज के पंचांग से जानते हैं करवा चौथ के शुभ मुहूर्त, सूर्योदय, चंद्रोदय, भद्रा, दिशाशूल, राहुकाल आदि के बारे में।

करवा चौथ पर न दिखे चांद तो ऐसे करें पूजा और पारण
यदि इस साल करवा चौथ की रात आपकी छत पर चांद दिखाई नहीं देता है तो आप कुछ आसान ज्योतिष उपाय कर सकती हैं. करवा चौथ की रात पास के किसी शिव मंदिर में जाएं, जहां पर भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा स्पष्ट रूप से दिखता हो. भगवान शिव के माथे को चंद्रमा सदैव सुशोभित करता रहता है. आप चंद्रोदय समय के बाद मंदिर में जाकर शिव जी के माथे पर लगे चंद्रमा को अर्घ्य देकर करवा चौथ का पारण करके व्रत को पूरा कर सकती हैं।

करवा चौथ पर चांद न दिखे तो दूसरा उपाय भी है. ज्योतिषशास्त्र में चंद्रमा का शुभ रत्न चांदी है. चंद्रोदय के समय के बाद आप चांदी का एक सिक्का या फिर चांदी का एक गोल टुकड़ा ले लें।उसे चंद्रमा का प्रतिरूप मानकर उसकी पूजा करें. उसे चंद्रमा मानकर करवा चौथ का अर्घ्य दें।फिर पारण करके व्रत को पूरा कर लें।

करवा चौथ पर क्यों करते हैं चंद्रमा की पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग का श्राप दिया था. इसकी वजह से वे अपनी कांति खोते जा रहे थे और जीवन पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, तब उन्होंने शिव जी की पूजा की. भगवान भोलेनाथ की कृपा से उनके सभी दोष और पाप मिट गए. उनको जीवनदान प्राप्त हुआ और आयु में वृद्धि हो गई. इस वजह से विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करती हैं और अर्घ्य देती है।

करवा चौथ के ​दिन वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी का व्रत होता है. भगवान गणेश जी ने चंद्रमा को तेजहीन होने का श्राप दे दिया था क्योंकि उन्होंने गणपति बप्पा के रंग और रूप को लेकर उपहास किया था. बाद में क्षमा मांगने पर गणेश जी ने कहा कि शुक्ल पक्ष में 15 दिन चंद्रमा का तेज बढ़ेगा और कृष्ण पक्ष के 15 दिनों में घटेगा. गणेश जी ने चंद्रमा को आशीर्वाद दिया कि संकष्टी चतुर्थी पर बिना चंद्रमा की पूजा के व्रत पूर्ण नहीं होगा।

आज का पंचांग, 20 अक्टूबर 2024
आज की तिथि- तृतीया – 06:46 ए एम तक, फिर चतुर्थी – 04:16 ए एम, 21 अक्टूबर तक, उसके बाद पंचमी
आज का नक्षत्र- कृत्तिका – 08:31 ए एम तक, उसके बाद रोहिणी
आज का करण- विष्टि – 06:46 ए एम तक, बव – 05:26 पी एम तक, बालव – 04:16 ए एम, 21 अक्टूबर, फिर कौलव
आज का योग- व्यतीपात – 02:12 पी एम तक, वरीयान्
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का दिन- रविवार
चंद्र राशि- ​वृषभ

सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:25 ए एम
सूर्यास्त- 05:46 पी एम
चन्द्रोदय- 07:54 पी एम
चन्द्रास्त- 09:33 ए एम

करवा चौथ 2024 शुभ मुहूर्त और योग
ब्रह्म मुहूर्त: 04:44 ए एम से 05:35 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 11:43 ए एम से 12:28 पी एम
निशिता मुहूर्त: 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21


करवा चौथ पूजा मुहूर्त: शाम 5:46 बजे से शाम 7:02 बजे तक
चांद निकलने का समय: शाम 07:54 बजे

अशुभ समय
राहुकाल- 04:21 पी एम से 05:46 पी एम
गुलिक काल- 02:56 पी एम से 04:21 पी एम
भद्रा: 06:25 ए एम से 06:46 ए एम
भद्रावास: स्वर्ग पर
दिशाशूल- पश्चिम

रुद्राभिषेक के लिए शिववास
क्रीड़ा में – 06:46 ए एम तक, कैलाश पर – 04:16 ए एम, अक्टूबर 21 तक, फिर नन्दी पर.

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