हिंदी भाषा का पहला अखबार था उदन्त मार्तण्ड। इसका अर्थ है ‘समाचार-सूर्य‘। आर्थिक समस्या के चलते इसके कुल 79 अंक ही प्रकाशित हो पाए थे। इसे हिंदी भाषा का अखबार माना जाता है लेकिन यह ब्रज और खड़ी बोली के मिश्रित रूप में छपता था। हिंदी पत्रकारिता दिवस हर वर्ष 30 मई को मनाया जाता है। दरअसल इसे मनाने की वजह यह है कि इसी दिन साल 1826 में हिंदी भाषा का पहला अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ प्रकाशित होना शुरू हुआ था।

इसका प्रकाशन तत्कालीन कलकत्ता शहर से किया जाता था और पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे शुरू किया था। शुक्ल स्वयं ही इसके प्रकाशक और संपादक थे। मूल रूप से कानपुर के रहने वाले जुगल किशोर शुक्ल वकील भी थे। उन्होंने कलकत्ता को अपनी कर्मभूमि बनाया और वकील के साथ साथ पत्रकार तथा संपादक व प्रकाशक भी बन गए। उन्होंने कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन, कोलूटोला से ‘उदन्त मार्तण्ड’ अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। यह साप्ताहिक अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। पंडित शुक्ल ने कलकत्ता को अपनी कर्मभूमि इसलिए भी बनाया था क्योंकि उस समय देश की राजधानी यही शहर था। उस समय की भाषा में अंग्रेजी के बाद बांग्ला और उर्दू का काफी प्रभाव था। यही कारण है कि उस कालखंड में अधिकांश अखबार अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी में छापे जाते थे। उदन्त मार्तण्ड’ के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गई थीं, हालांकि उस समय इस अखबार को ज्यादा पाठक नहीं मिले थे।

हिंदी अखबार होने की वजह से कलकत्ता में इसके पाठक न के बराबर थे, इसलिए इसे डाक से अन्य राज्यों में भेजना पड़ता था। हालांकि, डाक से भेजना उस समय काफी महंगा सौदा था। जुगल किशोर ने अंग्रेज सरकार ने कई बार डाक दरों में रियायत का अनुरोध किया, पर कोई समाधान नहीं निकला। नतीजा यह रहा कि आर्थिक तंगी के चलते ‘उदन्त मार्तण्ड’ ज्यादा दिनों तक नहीं छप सका और 4 दिसंबर 1826 को यह अखबार बंद हो गया।

46 साल के इंतजार के बाद आया था हिंदी अखबार
हिंदी अखबार उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशित होने से 46 साल पहले सन 1780 में एक अंग्रेजी अखबार छपना शुरू हुआ था। 29 जनवरी 1780 में एक आयरिश नागरिक जेम्स आगस्टस हिकी कलकत्ता शहर से ही ‘कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर’ नाम से एक अंग्रेजी अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। यह भारतीय उपमहाद्वीप का पहला अखबार था। इसके प्रकाशन के साढ़े चार दशक बाद उदन्त मार्तण्ड नाम से पहला हिंदी अखबार प्रकाशित हुआ था। इन बीच अन्य भारतीय भाषाओं के अखबारों का प्रकाशन शुरू हो चुका था।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी (बरेली मंडल)

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