रिपोर्टर रजनीश कुमार
अटसू-अजीतमल तहसील क्षेत्र के ग्राम कुल्हुरूआ में श्रीमद् भागवत कथा और रामलीला का आयोजन हो रहा है। जिसमें आज कथा के अंतिम दिन गोवर्धन पूजन की कथा वाचक रिया शास्त्री ने विस्तार पूर्वक कथा रुक्मिणी, विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी।

वह श्रीकृष्ण को अपनी जान से भी ज्यादा चाहती थी और किसी और से विवाह करना नहीं चाहती थी। रुक्मिणी के पिता ने उनकी इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ तय कर दिया था।

जब रुक्मिणी को पता चला कि उनकी शादी शिशुपाल से होने वाली है, तो उन्होंने नारद मुनि को श्रीकृष्ण से सहायता के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा। नारद मुनि ने श्रीकृष्ण को रुक्मिणी की परेशानी बताई और उन्होंने रुक्मिणी की रक्षा के लिए जल्दी ही द्वारका आने का वादा किया।

लीला का महत्व
रुक्मणि विवाह लीला, भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम, शक्ति और भक्तों की रक्षा के प्रति उनकी भक्ति को दर्शाती है। यह कथा हमें सिखाती है कि प्रेम और भक्ति से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है।