बदायूँ/उत्तर प्रदेश : बदायूँ जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जिलों में से एक है। बदायूँ जिला बरेली संभाग का एक हिस्सा है। बदायूँ जिले का क्षेत्रफल 4234 वर्ग कि0मी0 है।
मत्स्य विभाग द्वारा निरन्तर मत्स्य विकास सम्बन्धी योजनाओं के का संचालन किया जा रहा है और मत्स्य गतिविधियों में जुड़े लोगों को लाभान्वित करने में विभाग निरन्तर प्रयासरत है। वर्तमान समय में मत्स्य विकास की प्रवल संभावनायें हैं जिसके अन्तर्गत मत्स्य पालकों को मत्स्य पालन करने के साथ इन्टीग्रेटेड फिश फार्मिंग करने की ओर बल दिया जा रहा है जिसके अन्तर्गत वह मत्स्य पालन के साथ बत्तख पालन, मुर्गी पालन आदि कर अपनी आय को दो गुना कर सकते हैं। विशेष संभावनाओं को देखते हुए वर्तमान में मत्स्य पालको को पंगेशियस प्रजाति की मछली पालन करने को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मत्स्य विभाग द्वारा संचालित विभागीय विभिन्न योजनाओं द्वारा निजी क्षेत्र में लगभग 50 से अधिक तालाबों का निर्माण करवाकर (जिनका औसत क्षे0 लगभग 32.877 हे0 है) मत्स्य पालन का कार्य कराया जा रहा है। जनपद में मछली उत्पादन को देखते हुए प्रगतिशील मत्स्य पालक के रूप में जियाउल इस्लाम द्वारा ग्राम ईकरी विकास खण्ड जगत में बडे पैमाने पर तकनीकी विधि द्वारा पंगेशियस मछली का पालन किया जा रहा है जिसके साथ वहाँ पर लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है एवं जनसहभागिता के रूप में मत्स्य पालकों को तकनीकी विधि द्वारा मत्स्य पालन करने से सम्बन्धित ट्रेनिंग भी दी जाती है साथ ही विभाग द्वारा संचालित योजना द्वारा बने निजी क्षेत्र के तालाबों में लगभग 50 से 60 कुन्टल तक प्रति वर्ष मत्स्य उत्पादन लेकर लगभग 3.00 लाख रूपये तक की आमदनी की जाती है जनपद में समस्त श्रोतों से मत्स्य उत्पादन 15902 टन है जिसका अनुमानित मूल्य रू0-15,90,200 (रू0 पन्द्रह लाख नब्बे हजार दो सौ मात्र) है।
विभाग द्वारा समय समय पर मत्स्य पालकों का प्रशिक्षण द्वारा मत्स्य उत्पादन की आधुनिक तकनीकी विधि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जिससे वह प्रशिक्षित होने के उपरान्त तकनीकी विधि द्वारा ज्यादा मत्स्य उत्पादन कर अपनी आय को दो गुना कर सकते हैं। वर्तमान में मत्स्य विभाग द्वारा संचालित केन्द्र सरकार की प्रधानमन्त्री मत्स्य सम्पदा योजना एवं राष्ट्र्रीय कृषि विकास योजना द्वारा मत्स्य पालकों को विभिन्न परियोजनाओं के लिए श्रेणी वार अनुदान जैसे सामान्य आवेदक के लिए 40 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए 60 प्रतिशत तथा महिला के लिए 60 प्रतिशत अनुदान सरकार द्वारा दिया जाता है इस योजना के अन्तर्गत विभाग द्वारा प्रचार प्रसार करके किसानों को मत्स्य पालन से जोड़ने हेतु निरन्तर प्रयास किया जा रहा है। जनपद में पुनः मछली उत्पादन के सरकारी/निजी क्षेत्र में उपयुक्त प्रयास किये जायें तो ऐसी स्थिति में लगभग दो वर्षों में मछली उत्पादन बहुत बढ़ जायेगा जिससे जनपद एवं प्रदेश में राजस्व कीं वृद्धि होगी साथ ही रोजगार भी सृजित होंगे। इसी के साथ ही माननीय प्रधानमन्त्री जी के आत्म निर्भर भारत बनाने के विजन को पूर्ण रूप से साकार किया जा सकेगा।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी (बरेली मंडल)

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