लखनऊ : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव के फर्जी लेटर हेड व हस्ताक्षर से एडेड विद्यालय में क्लर्क के पद पर नियुक्ति का मामला सामने आया है। पब्लिक इंटर कॉलेज केराकट जौनपुर में फर्जी क्लर्क की नियुक्ति का मामला उजागर हुआ है।वेतन भुगतान के लिए मामला पहुंचने पर भेद खुला तो आननफानन माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई है।

आपको बता दें कि जब इस मामले की जांच की गई तो पता चला कि जिस अभ्यर्थी को नियुक्ति दिया गया है उसने गलत तरीके से सचिव का फर्जी लेटर हेड तैयार करवा कर नियुक्ति पत्र बनवाया है। मामला संज्ञान में आने के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्य कांत शुक्ला ने इस पूरे मामले पर प्रयागराज के सिविल लाइंस थाना प्रभारी को सूचना देकर अराजकतत्वों के विरुद्ध तत्काल मुकदमा दर्ज करवाने की बात कही है।

बता दें, माध्यमिक शिक्षा परिषद के फर्जी लेटर हेड पर सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज के स्कैन किए गए हस्ताक्षर से राजीव रतन सिंह पुत्र संजय सिंह ग्राम विरमपुर, जौनपुर उत्तर प्रदेश के नाम से पब्लिक इंटर कॉलेज केराकट जौनपुर विद्यालय में क्लर्क के पद पर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किया गया है।सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा प्रदेश के विद्यालयों में क्लर्क अथवा किसी अन्य पद पर नियुक्ति नहीं की जाती है।जो नियुक्ति पत्र माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ के लेटर हेड पर मुद्रित किया गया है।वह पूर्ण रूप से फर्जी व परिषद कार्यालय द्वारा प्रयुक्त किए जाने वाला लेटर हेड नहीं है।साथ ही निर्गत फर्जी नियुक्ति पत्र में जो प्राप्तांक संख्या यूपीएस 821 मुद्रित है वह भी परिषद कार्यालय का प्राप्तांक नहीं है।

माध्यमिक सचिव ने दी ये जानकारी

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव का कहना है कि अभियुक्त द्वारा फर्जी नियुक्ति पत्र बनाकर विद्यालय में क्लर्क के पद पर ज्वाइन कर लिया गया था। वह बीते कुछ महीनों से वहां पर काम कर रहा था। जब उसके वेतन भुगतान के लिए जरूरी कागजात विद्यालय के अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय भेजे गए।तब वहां पर इस मामले का खुलासा हुआ।उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित सहायता प्राप्त विद्यालयों में क्लर्क व चपरासी पदों पर नियुक्ति बीते कुछ सालों से बंद है। ऐसे में इस विद्यालय में कब और किस आधार पर क्लर्क की नियुक्ति की गई। जब सक्षम अधिकारियों ने इस पूरे मामले की जांच की तो पता चला यह मामला पूरी तरह से फर्जी है। इसके बाद इस मामले में आरोपी सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।

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