लखनऊ। प्रदेश में शिक्षा के स्तर को तकनीकी में दक्ष बनाने एवं मल्टी एजुकेशनल कोर्स को गति देने के लिए सरकार शिक्षा में एक और नया कदम उठाया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राजधानी समेत प्रदेश के इंटरमीडिएट कॉलेजों में मल्टी एजुकेशनल कोर्स चलाने की योजना रही है। इससे विद्यार्थियों को इंटरमीडिएट के बाद आईटीआई, डिप्लोमा कोर्स के लिए दूसरे शिक्षण संस्थानों में नहीं जाना होगा।वे एक ही संस्थान में कौशल, तकनीक व डिप्लोमा कोर्स कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए कॉलेज को अखिल भारतीय तकनीक शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से अनुमोदन लेना जरूरी होगा।

मल्टी एजुकेशनल कोर्स पर दिया जा रहा जोर

एनईपी-2020 के तहत विद्यार्थियों को मल्टी एजुकेशनल शिक्षा देने पर जोर दिया जा रहा है। इसके आधार पर शिक्षण संस्थानों में एक, दो, तीन व चार वर्ष के डिप्लोमा, डिग्री कोर्स चलाए जा रहे हैं। इसी के तहत माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में भी तकनीक व कौशल रोजगारपरक शिक्षा को लागू करने की योजना बनाई जा रही है।

प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग के मुताबिक पॉलिटेक्निक व इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहले से आईटीआई से जुड़े कोर्स चलाए जा रहे हैं। आगामी सत्र से माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में भी यह व्यवस्था लागू करने की योजना बनाई जा रही है। इस संबंध में बीते दिनों एआईसीटीई के साथ हुई ऑनलाइन मीटिंग में व्यावसायिक कोर्स चलाने पर चर्चा हुई।

व्यावसायिक कोर्स पर दिया जा रहा जोर
प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग के अनुसार शिक्षण संस्थानों में ज्यादा से ज्यादा व्यावसायिक कोर्स चलाए जा रहे हैं। सीआईटीएस के तहत तकनीक शिक्षण संस्थानों में 78 से अधिक आईटीआई कोर्स चल रहे हैं। माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में मल्टी एजुकेशनल की व्यवस्था लागू होने पर एक व दो वर्षीय और शॉर्ट टर्म कोर्स चलेंगे। इनमें टेक्नीशियन पावर इलेक्ट्रानिक्स, मैकेनिक, कम्प्यूटर, मल्टी मीडिया व इंटरनेट सहित अन्य कोर्स शामिल होंगे।

स्किल कौशल की मिलेगी जानकारी
माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में आईटीआई से जुड़े कोर्स चलाए जाते हैं तो विद्यार्थियों को स्किल कौशल की जानकारी मिलेगी। एक ही संस्थान में इलेक्ट्रिकल, टेक्नीशियन व मल्टी मीडिया के शॉर्ट टर्म कोर्स की पढ़ाई की जा सकेगी।- राजकुमार यादव, प्राचार्य, आईटीआई अलीगंज

आत्मनिर्भर को लगेंगे पंख
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान है कि माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक कोर्स लागू किया जाए। इससे स्वरोजगार व आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा मिलेगी। देखा गया है कि इंटर पास विद्यार्थियों के पास कौशल शिक्षा की जानकारी नहीं होती। ऐसे में व्यावसायिक कोर्स लागू होने से इन्हें लाभ मिलेगा। – महेंद्र देव, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा

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