रिपोर्ट:मनीष कांत शर्मा
🔵पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, तृप्ति, शांति और सद्गति के लिए करें तर्पण।
गायत्री शक्तिपीठ एवं आध्यात्मिक चेतना केंद्र पर पितृ अमावस्या पर पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ हुआ। आत्मीय परिजनों ने लोककल्याणार्थ गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहुतियां यज्ञ भगवान को समर्पित कीं। आत्मीय परिजनों ने अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा तृप्ति के पावन पर्व पर वीरगति प्राप्त भारतीय सैनिकों, महामारी में दिवंगत हुए लाखों आत्मीय परिजनों, वीरांगनाओं महापुरुषों, पूर्वजों के लिए सामूहिक श्राद्ध तर्पण किया। जिला समन्वयक नरेंद्र पाल शर्मा ने मुख्य दीप प्रज्ज्वलित किया। नाथूलाल शर्मा ने सपत्नीक मां गायत्री की पूजा अर्चना की।
गायत्री शक्तिपीठ के परिब्राजक सचिन देव ने कहा कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, तृप्ति, शांति और सद्गति के लिए तर्पण करें। उत्कृष्ट भावनाओं से बना अंतरण या वातावरण ही शांतिदायक होता है। जिस पर स्थूल शरीर वाले को इंद्रिय भोग वासना, तृष्णा एवं अहंकार की पूर्ति में सुख मिलता है। उसी तरह पितरों का सूक्ष्म शरीर शुभ कर्मों से उत्पन्न सुगंध का रसास्वादन कर पूर्वज तृप्ति का अनुभव करते हैं।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि श्रद्धा पूर्वजों की प्रसन्नता और आकांक्षा का केंद्र बिंदु है। श्रद्धा भरे वातावरण के सानिध्य में पितर अपनी अशांति खोकर आनंद का अनुभव करते हैं। श्रद्धा ही इनकी भूख है। इसी से उन्हें तृप्ति होती है। इसीलिए पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्ध-तर्पण करना चाहिए। उन्होंने ने बताया कि शक्तिपीठ पर वीरगति प्राप्त भारतीय सैनिकों, महामारी में दिवंगत हुए लाखों आत्मीय परिजनों, वीरांगनाओं, महापुरुषों, पूर्वजों के श्राद्ध के अलावा देव तर्पण, ऋषि तर्पण, दिव्य मानव तर्पण, दिव्य पितृ तर्पण, यम तर्पण, मनुष्य पितृ तर्पण, पितृ यज्ञ (पिंडदान) और पंचबली में आदि अन्य को विधिवत कराया। कई परिजनों ने कछला के पतित पावनी मां गंगा के तट पर श्रद्धापूर्वक अपने पूर्वजों के लिए श्रद्धा-तर्पण किया। कन्याभोज कराया और लोगों को दान दक्षिणा दी। इस मौके पर निर्मला देवी, यशवीर सिंह, सुशील कुमार गुप्ता, कृष्णपाल सिंह, मदन लाल शर्मा आदि मौजूद रहे।