उधारी के अफसर, हाजिर गुलदार पिंजरे में कैद नियंत्रण के दावे28 लोगों की जान दो साल में गुलदार के हमलों में जा चुकी है50 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं500 से ज्यादा गुलदार जिले के जंगलों में होने की संभावना64 गुलदार पिछले दो साल में पिंजरों में फंसे26 शावक गन्ने के खेतों में मिल चुके हैंअंकुल प्रजापतिबिजनौर। एक ओर बिजनौर जिले में गुलदार बड़ी समस्या बन गया है, वहीं वन डिविजन के लिए स्थायी अधिकारी न होना उससे भी बड़ी समस्या बनता जा रहा है। पिछले दो सप्ताह में दो लोगों की जान गुलदार ले चुका है। वहीं पिछले दो साल से बिजनौर जैसी महत्वपूर्ण डिविजन संबद्धता या फिर अतिरिक्त चार्ज के भरोसे चल रही है। ऐसे में डीएफओ के पद पर स्थायी नियुक्ति न होने से भी परेशानी बढ़ती नजर आ रही है।अनुमान है कि जिले में गन्ने के खेतों में 500 से ज्यादा गुलदार हैं। पिछले दो सालों में 28 लोग गुलदार के हमलों में मारे जा चुके हैं। घायलों की संख्या 50 का आंकड़ा पार कर चुकी है। ऐसे में वन विभाग मजबूत इंतजाम के दावे तो करता है पर नियुक्ति के मामले में डीएफओ के पद के मामले में स्थायी आईएफएस अधिकारी नहीं मिल रहे।दो साल पहले डीएफओ अनिल पटेल का स्थानांतरण होने के बाद से बिजनौर में या तो एक एसडीओ के पास अतिरिक्त कार्यभार रहा या फिर अब दूसरी डिविजन के अफसरों को अस्थायी तौर पर डिविजन का चार्ज मिला है।कुछ दिन पहले एसडीओ ज्ञान सिंह से डीएफओ का अतिरिक्त चार्ज हटाया गया। वहीं नजीबाबाद डीएफओ को बिजनौर की जिम्मेदारी भी मिली। इसके बाद 17 दिनों तक मुरादाबाद डीएफओ के पास ही बिजनौर की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली। ऐसे में बार-बार अधिकारी तो बदल रहे हैं पर गुलदार के हमले कम होने के बजाय बढ़ते दिख रहे हैं। तीन दिन में चांदपुर क्षेत्र में ही गुलदार दो लोगों को मार चुका है। बाक्स उपलब्ध संसाधनों के जरिए गुलदार नियंत्रण का प्रयास किया जा रहा है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि गुलदार से बचाव के तरीके सीख सकें। -अभिनव राज, डीएफओबाक्स गुलदार नियंत्रण अभियान के तहत इंतजाम100 पिंजरे जिलेभर में गुलदारपकड़ने के लिए लगाए03 टीमें गुलदार पकड़ने के लिएजिले में बनाई300 वनकर्मी और गुलदार मित्रों को प्रशिक्षण दिया गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान और गुलदार संघर्ष रोकने की ठोस योजना बनाएंबिजनौर। गुलदार गुलदार के हमलों में लोगों की मौत होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में प्रशासन ने बैठक आयोजित कर मानव-गुलदार संघर्ष रोकने के लिए ठोस योजना बनाने पर जोर दिया गया।सोमवार को विदुर सभागार में दोपहर साढ़े तीन बजे बैठक हुई। इसमें डीएम जसजीत कौर ने प्रभागीय निदेशक वानिकी को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार कर जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए। जहां गुलदारों की सक्रियता बनी हुई है, वहां वन विभाग सतर्क और सजग रहे। लोगों को बचाव और सुरक्षा के लिए उपाय बताएं।कहा कि गुलदार प्रभावित इलाकों में प्राथमिक उपचार किट तथा एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध रहने चाहिए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुलदार प्रभावित अति संवेदनशील क्षेत्रों में वाच टावर लगवाने, सोलर बेस्ड हैलोजन लाइट्स, शोर के लिए लाउडस्पीकर तथा झाड़-झंखाड़ की सफाई की कराई जाए।इस अवसर पर आईएएस ट्रैनी कुणाल रस्तोगी ने पीपीटी के माध्यम से गुलदार और मानव संघर्ष पर रिसर्च प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर डीएफओ, डीडीओ रचना गुप्ता, सीएमएस मनोज सैन, पंचायत राज अधिकारी आदि समेत संबंधित अधिकारी रहे
