महाशिवरात्रि पर सरसोता में लगता है विशाल मेला इस मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरोवर में स्नान कर महादेव की जलाभिषेक व पूजा अर्चना कर उन्नति की प्रार्थना करते हैं।
कुछ दबंग लोगों द्वारा मेला प्रागंण की जगह में 2 दिन पहले मधुमक्खी पालन लगा दिया है ये श्रद्धालुओं के लिए बनेगी चुनौती
सहसवान नगर से सटा हुआ तीर्थ स्थल जो कि सरसोता नाम से प्रसिद्ध है यहां पर भगवान परशुराम ने सहस्त्रबाहु का किला ध्वस्त कर इस स्थान पर भगवान परशुराम ने अपनी एवं साथ में ऋषि मुनियों की प्यास बुझाने के लिए अपने फरसे से सात स्थानों पर वार कर सप्त स्रोत खोलकर अपनी एवं ऋषि मुनियों की प्यास बुझाई थी। जब से यहां पर कुदरती सातों स्रोतों से जल निकलने लगा था। उसके बाद से यहां पर श्रद्धालुओं ने इस स्थान का नाम सरसोता रख दिया।जहां पर कल लगेगा महाशिवरात्रि का मेला। यहां पर महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुजन हजारों की तादाद में एक जुट होकर सुबह से ही स्नान कर भगवान शिव जी की पूजा अर्चना व जलाभिषेक कर करते हैं। अपने परिवार की खुशहाली के लिए भक्तगण प्रार्थना करते हैं जिस तरह प्रशासन मेले की तैयारी के लिए पहले से मुस्तैद रहता था, लेकिन यहां पर कल की तैयारी के लिए बिजली व्यवस्था एवं जल की व्यवस्था के लिए कर्मचारी तो लगे हैं। लेकिन बाबा लक्कड़ गिरी का कहना है कि यहां पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु लोग आकर पूजा अर्चना करते है व मेले का आनंद लेते हैं।
सरसोता परिसर की भूमि पर जिस स्थान पर बेर, बेल पत्थर, बेल पत्री, खील, बताशे सहित प्रांगण के चारों ओर ठेले खोमचे चाट,पकौड़ी सहित खेल खिलौने की दुकानें सजाई जाती हैं। इसी जगह पर कुछ लोगों द्वारा मधुमक्खी पालन लगा रखा है। जो कल आने वाले श्रद्धालुओं के लिए परेशानियों का सबब बनेगा। क्योंकि भीड़ भाड़ हजारों की संख्या में होती है। बाबा लक्कड़ गिरी का कहना है कि मेरे द्वारा मधुमक्खी पालन वालों से कहा गया था कि यहां से मधुमक्खी पालन हटा लें। जबकि मात्र 2 दिन पहले ही यहां पर मधुमक्खी पालन लगा दिया गया है। जिसकी मधुमक्खियां चारों ओर घूमती हुई दिखाई दे रही हैं। यहां पर कल सुबह से ही पुलिस प्रशासन के कर्मचारी पहुंचकर मेले की व्यवस्था देखते हैं। वर्षों से यह मेला लगता चला आ रहा है
ब्यूरो रिपोर्ट: आलोक मालपाणी बदायूं