विश्वविद्यालय के कुलपति ने सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में पुस्तकालय के महत्व पर जोर दिया॥
रोहित सेठ
पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है, जिसमें कई विद्वानों और ऋषियों का ज्ञान समाहित है।– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा.
वाराणसी: सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारीलाल शर्मा ने वाराणसी में गोयंका संस्कृत महाविद्यालय के पुस्तकालय के निरीक्षण के दौरान सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक ज्ञान के संरक्षण में पुस्तकालयों के महत्व पर प्रकाश डाला।
पुस्तकालय अध्यापकों एवं विद्यार्थियों के लिए मूल्यवान संसाधन–
कुलपति प्रोफेसर शर्मा ने कहा, “पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है, जिसमें कई विद्वानों और ऋषियों का ज्ञान समाहित है।” “यह छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है, जो उनके ज्ञान का विस्तार करने और उनकी समस्याओं का समाधान खोजने का एक साधन प्रदान करता है।”
पुस्तकालय भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं के संरक्षण में योगदान—
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुस्तकालय भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और उनके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता।
कुलपति के दौरे से शैक्षणिक संस्थानों के विकास को प्रोत्साहित करने में सहायक होगा–
कुलपति के दौरे का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में पुस्तकालयों के महत्व को बढ़ावा देना और उनके विकास को प्रोत्साहित करना था। उनकी टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और सम्मानित करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।