बहुयामी समाचार पुष्पेंद्र वर्मा बाराबंकी निंदूरा बाराबंकी। विकास खंड क्षेत्र के पिडसावा में गायत्री शक्तिपीठ टिकैतगंज के तत्वावधान में चल रही चार दिवसीय प्रज्ञा पुराण कथा में सोमवार को तीसरे दिन कथा व्यास रामनाथ मौर्या ने कहा कि प्रगतिशील जीवन में मधुर वाणी का होना आवश्यक है। जैसे हाथ-पैरों की गति से पेट भर जाता है और जीवन की गति तेज हो जाती है, वैसे ही वाणी का उच्चारण आपसी सहयोग, सामाजिक संपर्क और प्रगति के अवरुद्ध द्वार को खोल देता है। शिष्टाचार की दिशा में किसी भी दिशा और प्रवाह को मोड़ना लोक सेवा की सबसे बड़ी सेवा है। इसके लिए भी स्पष्ट भाषण की आवश्यकता है। उन्होंने कहां कि सत्कर्म और जनकल्याण के रास्ते पर चलते हुए प्रभु भक्ति के कार्य करते हुए जीवन व्यतीत करने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि बिना धर्म और संस्कार के मनुष्य योनि व्यर्थ है। 84 लाख योनियों में भटकने के बाद जीव को मनुष्य योनि में आने का अवसर मिलता है, जहां जीव अपने तन और मन से सत्कर्म करते हुए ईश्वर को प्राप्त करने का सामर्थ्य प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य योनि में आकर सब कुछ जानते हुए भी अगर मनुष्य अज्ञानता की भंवर में गोता लगाता रहे तो उसका जीवन बेकार है। इसलिए हमेशा सत्कर्म के मार्ग पर चलते हुए ईश्वर का स्मरण करते रहें।
ब्यूरो रिपोर्ट इंद्रजीत वर्मा बाराबंकी 🖋️